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तुम मिले तो दर्द भी जाता रहा / गिरीश पंकज
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तुम मिले तो दर्द भी जाता रहा
देर तक फिर दिल मेरा गाता रहा
देख कर तुमको लगा हरदम मुझे
जन्मों-जन्मो का कोई नाता रहा
दूर मुझसे हो गया तो क्या हुआ
दिल में उसको हर घड़ी पाता रहा
अब उसे जा कर मिली मंज़िल कहीं
जो सदा ही ठोकरें खाता रहा
मुफ़लिसी के दिन फिरेंगे एक दिन
मै था पाग़ल ख़ुद को समझाता रहा
ज़िन्दगी है ये किराए का मकां
इक गया तो दूसरा आता रहा