भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम यहाँ भी / रमेश पाण्डेय
Kavita Kosh से
तुम यहाँ भी मिल गए जब्बार मियाँ?
पूरे भदोही में
तुम किस-किस गाँव में ख़ुश हो
और किस-किस में उदास
मुझे बता सकोगे
मैं देखता हूँ
जब तुम कालीनों पर
गुल-तराशी करते हो तो
फूल महकते हैं
और तुम बहुत उदास हो जाते हो
यहाँ से पचास किलोमीटर दूर बनारस में
उठ रही दुआख़्वानी की आवाज़ें
और मुर्की बंद होने की ख़बर सुनकर
तुम घबरा क्यों जाते हो जब्बार मियाँ?