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तुम ही मेरा जीवन हो / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
मैं घुँघरू तुम छम-छम हो मैं दिल हूँ तुम धड़कन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो-तुम ही मेरा जीवन हो।
कितनी दूरी तय कर के
मुझसे मिलने आते हो।
मुझको गले लगाकर तुम
मुझमें ही खो जाते हो।
मैं सागर खारा-खारा तुम गंगाजल पावन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो-तुम ही मेरा जीवन हो।
साथ तुम्हारा पाया तो
मुझको कितना मान मिला।
किसके-किसके माथे पर
मुझको भी स्थान मिला।
मैं साधारण पानी हूँ तुम मलयागिरि चन्दन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो-तुम ही मेरा जीवन हो।
मेरा परिचय थोड़ा सा
पर तुम में व्यापकता है।
तुमसे जुड़कर कोई भी
मंज़िल को पा सकता है।
मैं मानस की चौपाई तुम पूरी रामायन हो।
एक पंक्ति में कह दूँ तो-तुम ही मेरा जीवन हो।