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तूने अभी नहीं दुख पाए / हरिवंशराय बच्चन

तूने अभी नहीं दुख पाए।

शूल चुभा, तू चिल्लाता है,
पाँव सिद्ध तब कहलाता है,
इतने शूल चुभें शूलों के चुभने का पग पता न पाए।
तूने अभी नहीं दुख पाए।

बीते सुख की याद सताती?
अभी बहुत कोमल है छाती,
दुख तो वह है जिसे सहन कर पत्थर की छाती हो जाए।
तूने अभी नहीं दुख पाए।

कंठ करुण स्वर में गाता है,
नयनों में घन घिर आता है,
पन्ना-पन्ना रंग जाता है
लेकिन, प्यारे, दुख तो वह है,
हाथ न ड़ोले, कंठ न बोले, नयन मुँदे हों या पथराए।
तूने अभी नहीं दुख पाए।