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तू अभी रहगुज़र मे है,क़ैदे-मुक़ाम से गुज़र / इक़बाल
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तू अभी रह-गुज़र में है कै़द-ए-मक़ाम से गुज़र
मिस्र ओ हिजाज़ से गुज़र पारस ओ शाम से गुज़र
जिस का अमल है बे-ग़रज़ उस की जज़ा कुछ और है
हूर ओ ख़याम से गुज़र बादा ओ जाम से गुज़र
गरचे है दिल-कुशा बहुत हुस्न-ए-फ़रंग की बहार
ताएरक-ए-बुलंद-बाल दाना ओ दाम से गुज़र
कोह-शगाफ़ तेरी ज़र्ब तुझ से कुशाद-ए-शर्क़-ओ-ग़र्ब
तेग़-ए-हिलाल की तरह ऐश-ए-नियाम से गुज़र
तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूर
ऐसी नमाज़ से गुज़र ऐसे इमाम से गुज़र