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तू कहाँ था, कहाँ था, कहाँ था पिया / उर्मिल सत्यभूषण
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तू कहाँ था, कहाँ था, कहाँ था पिया
तू यहीं था, यहीं था, यहाँ था पिया
मेरे पैरों के नीचे दबी दूब पर
ओस मोती नमी में अयाँ था पिया
मेरे अश्कों में तू था, हंसी में था तू
दिल की चाहत में तूही जवां था पिया
मंदिरों में जिसे घंटियों में सुना
मस्जिदों में तू ही तो अजां था पिया
तोतले बैन में, प्यार के लम्स में
गोशे गोशे में तेरा निशां था पिया
जन्म लेता रहा तू ही मरता रहा
तू बहारों में था तू खिज़ां था पिया
क्षितिज की लालियों में तेरा नूर था
रात नभ में तू ही कहकशां था पिया
दिल के शीशे में उर्मिल तुझे पा गई
उसके नग़मों में तेरा बयां था पिया