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तू पंचतत्त्व जैसी / कविता भट्ट
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तू पंचतत्त्व जैसी;
तू पृथ्वी तत्त्व- तुझमें गुरुत्व है।
सघनता भी- तू है प्रचंड ज्वाला,
अग्नितत्त्व- सी; अविरल-प्रबल।
प्रवाह तेरा-
धर लेती आकार, हर प्रकार;
क्योंकि तू जल तत्त्व।
प्राण भरती; तन-मन-जीवन,
तू प्राण- वायु तत्त्व भी है तू।
तेरा विस्तार- आकाश-सा है नारी,
आँचल-बाँधे; अनगिनत सूर्य,
चन्द्रमा-तारे-आकाशगंगाएँ भी;
किन्तु फिर भी; तेरे सम्मान पर
क्यों कोटि प्रश्नचिह्न?
है यही- यक्षप्रश्न।