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तू लिख रहा है नस्र तरन्नुम की बात कर / कांतिमोहन 'सोज़'

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तू लिख रहा है नस्र तरन्नुम की बात कर I
सर्दी बहुत है जून के मौसम की बात कर II

अश्कों की बात करता है पिछड़ा हुआ है तू
शायर है चश्मे-नम के तलातुम की बात कर I

तामीर चाहता है तो ताराज करना सीख
मक़सद बहिश्त हो तो जहन्नुम की बात कर I

रब पर भी हो चला है ज़माने का कुछ असर
हो जश्न की मुराद तो मातम की बात कर I

दौरे-जदीद है तू चलन इसका सीख ले
मौक़ा हो ईद का तो मोहर्रम की बात कर I

अहले-सितम के पास हुजूमे-अदीब है
तू पाकदामनों के जरायम की बात कर I

बाजार मौत का है बहुत गर्म चारसू
ऐसे में सोज़ ज़ीस्त के दम-ख़म की बात कर II