Last modified on 4 फ़रवरी 2010, at 01:56

तू सच सच आख वे जोगी / पंजाबी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तू सच सच आख वे जोगी,
सजन मिलसी के न मिलसी,
मिलन होसी के न होसी।

न करिये माण वतनाँ दा,
असीं हाँ लाल परदेसी,
तू सच सच आख वे जोगी,
सजन मिलसी के न मिलसी,
मिलन होसी के न होसी।

अधी राती दुपट्टा रंगया,
न माही आया न किली टंगया,
तू सच सच आख वे जोगी,
सजन मिलसी के न मिलसी,
मिलन होसी के न होसी।

अधी राती पकन केले,
विच्छ्डयाँ नूँ रब आप सेले,
तू सच सच आख वे जोगी,
सजन मिलसी के न मिलसी,
मिलन होसी के न होसी।

अधी राती पकन आडू,
वगण नदियाँ तरण तारु,
तू सच सच आख वे जोगी,
सजन मिलसी के न मिलसी,
मिलन होसी के न होसी।

अधी राती चमकण तारे,
जुदाई वाले तीर सानुँ किस मारे,
न तुसाँ मारे न असाँ मारे,
मारण वाला प्रभु आप जाणे,

तू सच सच आख वे जोगी,
सजन मिलसी के न मिलसी,
मिलन होसी के न होसी।