तेरह भजन (ईश्वर के लिए भजन) / बैर्तोल्त ब्रेष्त / नीलाभ
1. गहरी अन्धेरी घाटियों में भूखे लोग मर रहे हैं। तुम सिर्फ़ उन्हें रोटी दिखाते
हो और मरने के लिए छोड़ देते हो। तुम सिर्फ़ राज करते हो अनन्त
अदृश्य। इस अन्तहीन योजना पर क्रूरता से मुस्कुराते हुए।
2. तुम नौजवानों को मरने देते हो और उनको भी जो ज़िन्दगी का मज़ा लेते
हैं । लेकिन जो मरना चाहते थे उन्हें तुमने स्वीकार नहीं किया । बहुत
से लोग जो अब पड़े सड़ रहे हैं , तुम में विश्वास करते थे
और पूरी तरह महफ़ूज़ मरे ।
3. तुम ग़रीबों को साल-ब-साल गरीब रहने देते हो,
इस एहसास के साथ कि उनकी इच्छाएँ तुम्हारे स्वर्ग से ज़्यादा मधुर हैं ।
अफ़सोस इससे पहले कि तुम उन तक रोशनी ला सको वे सिधार गए ।
तो भी वे आनन्द से सिधारे — और तत्काल सड़ गए ।
4. हममें से बहुत से कहते हैं तुम नहीं हो —
और यही भला है लेकिन वह चीज़
जो रच सकती है ऐसा प्रपंच नहीं कैसे हो सकती ।
अगर इतना कुछ तुम्हारे सहारे ज़िन्दा है
और मर नहीं सकता तुम्हारे बिना तो
बताओ ज़रा, इससे क्या फ़र्क
पड़ता है कि तुम नहीं हो ?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीलाभ