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तेरह भजन (भजन) / बैर्तोल्त ब्रेष्त / नीलाभ
Kavita Kosh से
1. हमने पलक तक नहीं झपकाई, जब सफ़ेद पानी हमारे गले तक चढ़ आया।
2. जब गहरी भूरी शामें हमें कुतरती रहीं, हम सिगार पीते रहे।
3. हमने इनकार नहीं किया, जब हम आकाश में डूब गए।
4. पानी ने किसी को नहीं बताया कि वह हमारे गले तक चढ़ आया है।
5. अख़बारों में कुछ भी नहीं था, हमारे कुछ न कहने के बारे में।
6. आकाश नहीं सुनता उन लोगों की चीख़ें जो डूब रहे होते हैं।
7. लिहाज़ा हम बैठे रहे बड़ी चट्टानों पर ख़ुशक़िस्मत लोगों की तरह।
8. लिहाज़ा हमने मार डालीं वे सोनचिरैयाँ जो हमारे मौन चेहरों की चर्चा करती थीं।
9. कौन बात करता है चट्टानों के बारे में ?
10. और किसे परवाह है कि पानी, शाम और आकाश का हमारे लिए क्या मतलब है ?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीलाभ