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तेरा तसव्वुर तेरी ख़व्वाईश रखता हूँ / शमशाद इलाही अंसारी
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तेरा तसव्वुर तेरी ख़व्वाईश रखता हूँ
जैसे खुद को पीने की प्यास रखता हूँ ।
जो भी क़दम उठे तेरी जानिब
ख़ुद से मिलने की आस रखता हूँ ।
जबसे किया है उसने तर्के ताल्लुकात
तब से उसके अहदों का पास रखता हूँ ।
तेरे गुलशन में ऐसा कोई फ़ूल नहीं माली
जिस फ़ूल की सीने में सुबास रखता हूँ ।
गुंबदे कामयाबी का "शम्स" क्या कीजिये
लम्ह लम्हा मैं उसी का एहसास रखता हूँ ।
रचनाकाल: 25.05.2010