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तेरी कविता में तुझको देखा / अनिल जनविजय

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तेरी कविता में तुझको देखा
तू कितनी बदल गई नभरेखा

पहले थी तू चंचल बाला
जीवन दे वो अर्क निराला
उन वर्षों ने तुझको बदला
मिला मुझे जब देश-निकाला

अब तू कातर पीड़ा की छाया
और जीवन का दर्द तमाम
तू हिन्दी कविता की अख़्मातवा
और मैं उसका कवि मंदेलश्ताम

लिखती कविता में जीवन-लेखा
तू कितनी बदल गई नभरेखा

1997 में रचित