भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तेरू ही शुभाशीष च / संदीप रावत
Kavita Kosh से
तेरू ही शुभाशीष च हे जो कुछ बि पायि मिन
माता सरस्वती हे माँ , माता सरस्वती हे माँ
माता भगवती हे माँ ..
गीत, शब्द, लय ,ताल ,छन्द त्वेसे ही औंदन
मिठ्ठी वाणी,मिठ्ठा बोल कण्ठ त्वेसे ही औंदन
मेरा कण्ठ -कलम मा वास हो , कण्ठ -कलम मा वास हो
माता सरस्वती हे माँ.. ,तेरू ही शुभाशीष च हे..
मि निराट अग्यानी छौ ,खोटु छौ मि भारी माँ
कुपथ बटि सुबाटोम् त्वेन ही मी राखी माँ
सत का बाटाें हिटदी रौं , सच सदानि लिखदी रौं
माता सरस्वती हे माँ....