Last modified on 22 दिसम्बर 2007, at 19:27

तेरेसा / शुन्तारो तानीकावा

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: शुन्तारो तानीकावा  » संग्रह: पेड़ों से छनकर आई धूप
»  तेरेसा




मैं याद करता हूं तेरेसा को

वह कमरे में दाखिल हुई थी

बिना कुछ भी थामे हुए

बस हवा की हल्की सी लरज़ के साथ।


छोटे छोटे केकों से भरी है एक तश्तरी

एक कटोरे में गर्म हो रही है चाय

मेरे बारे में हमेशा खराब बातें करने वाली

एक दीवार गिर चुकी है और ढह रही है छत।


जीवाणुओं से ढंका हुआ और इल्लियों का खाया हुआ

एक जीवन किसी निशब्द दीर्घ कराह जैसा है

मेरी त्वचा का हर पोर उसे सुनता है

तेरेसा को प्यार कर चुकने के बाद मुझे निषिद्ध हैं सारे सपने।


मेरी जीभ पर घुल जाता है अंगूरों के स्वाद के साथ पलस्तर का स्वाद

अक्टूबर की हवाओं के बाद

नवम्बर के पाले के बाद मैं याद करता हूं तेरेसा को

बिना उस से मिले हुए।