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तेरे नग़मो को मैं गा रहा हूं / कमलकांत सक्सेना

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अपने सीने को सुलगा रहा हूँ।
तेरे नग़मों को मैं गा रहा हूँ॥

चलते जाते हो तुम,
चलता जाता हूँ मैं,
दूरियाँ कम हुईं कब?
थकता जाता हूँ मैं,

अपने हाथों को मलता रहा हूँ।
तेरे नग़मों को मैं गा रहा हूँ॥

मेरी पूजा हो तुम,
तेरा अपना हूँ मैं,
तुमने पुकारा मुझे,
आता जाता हूँ मैं,

अपने सपनों को सुलझा रहा हूँ।
तेरे नग़मों को मैं गा रहा हूँ॥

मेरा जीवन हो तुम,
तेरा जीवन हूँ मैं,
शाश्वत चाहत हो तुम,
अमर समर्पण हूँ मैं,

अपने गीतों को दुहरा रहा हूँ।
तेरे नग़मों को मैं गा रहा हूँ॥