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तेरे पीछे माया / शार्दुला नोगजा
Kavita Kosh से
कब बसंत बौराया कब घिर सावन आया
भूल गई सब भाग दौड़ में तेरे पीछे माया।
कब बसंत बौराया
सहसा बिटिया बड़ी हो गई, छन्न से यौवन आया
लौटेगा क्या समय साथ जो हमने नहीं बिताया।
कब बसंत बौराया
बचपन की आँखों से धुल गई इंद्रधनुष की छाया
रंग ले गया कुछ बालों से हर मुश्किल का साया।
कब बसंत बौराया
धन शोहरत की राह चली, ग़म दबे पाँव से आया
ढूंढ़ा था क्या भला इसे ही, जिस मंज़िल को पाया।
कब बसंत बौराया
कब बसंत बौराया कब घिर सावन आया
भूल गई सब भाग दौड़ में तेरे पीछे माया।
कब बसंत बौराया