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तेरे बिन / कमलकांत सक्सेना

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तेरे बिन प्रियतम,
पल भर भी
रह न सकूंगा॥

मेरे नयन स्वप्न से बोझिल
सुधियों में डूबे हैं।
अब मिलते हैं,
अब मिलते हैं
क्वांरे मनसूबे हैं।
मन से मन की किंचित दूरी,
सह न सकूंगा॥

तेरे बिन प्रियतम,
पल भर भी
रह न सकूंगा॥

यथाशक्ति
मैं बाट जोहकर
अपने घाव भरूंगा
मेरा क्या है पंछी हूँ मैं
नूतन नीड़ रचूंगा।
मेरा प्यार परम पावन है,
कह न सकूंगा॥

तेरे बिन प्रियतम,
पल भर भी
रह न सकूंगा॥