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तेरो मुख चंद्र री चकोर मेरे नैना / भगवत् रसिक
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तेरो मुख चंद्र री चकोर मेरे नैना।
पलं न लागे पलक बिन देखे, भूल गए गति पलं लगैं ना॥
हरबरात मिलिबे को निशिदिन, ऐसे मिले मानो कबं मिले ना।
'भगवत रसिक' रस की यह बातैं, रसिक बिना कोई समझ सकै ना॥