तेल देखिए और तेल की धार देखिए / जयप्रकाश त्रिपाठी
तेल देखिए और तेल की धार देखिए....
हरदम प्राइस-वार देखिए, ओपेक की हुँकार देखिए,
भीतर-भीतर प्यार देखिए, बाहर से तकरार देखिए,
मालदार अय्यार देखिए, दौलत के अम्बार देखिए,
डालर की झँकार देखिए, चोरों की भरमार देखिए,
विश्वबैंक बटमार देखिए, सूदखोर दुमदार देखिए,
जुड़े तार-बे-तार देखिए, दोनो हाथ उधार देखिए,
सूदखोर की लार देखिए, अमरीकी दुत्कार देखिए,
कर्जे से गुलजार देखिए, होते बँटाढार देखिए,
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए....
काले-गोरे यार देखिए, जालिम जोड़ीदार देखिए,
अद्भुत नाटककार देखिए, महँगाई की मार देखिए,
मुफलिस की दरकार देखिए, मचते हाहाकार देखिए,
होरी को बेजार देखिए, धनिया की चिग्घार देखिए,
पण्डो के त्योहार देखिए, पब्लिक अपरम्पार देखिए,
लोकतन्त्र लाचार देखिए, गाड़ी धक्कामार देखिए,
सबके सिर तलवार देखिए, बिना नाव पतवार देखिए,
फाँके से बीमार देखिए, फाँसी पर दो-चार देखिए,
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए...
वोटर पर उपकार देखिए, उजड़े घर-परिवार देखिए,
सिंहासन पर स्यार देखिए, भरा-पूरा संसार देखिए,
खूब मचाए रार देखिए, फिर जूतम-पैजार देखिए,
लुच्चों की ललकार देखिए, खादी में अवतार देखिए,
संकट के आसार देखिए, लोग फँसे मझधार देखिए,
सुअरों की पुचकार देखिए, गन्दे गीत-मल्हार देखिए,
खुले नर्क के द्वार देखिए, औघड़ कारोबार देखिए,
एक नहीं, सौ बार देखिए, सांस्कृतिक उद्धार देखिए,
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए...