भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तैं कित पर पाओं पसारा ए? / बुल्ले शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तैं कित पर पाओं पसारा ए?
कोई दम का एहना गुज़ारा ए।
तैं कित पर पाओं पसारा ए?

इक्क पलक छलकदा मेरा ए।
कुझ कर लै एहो वेला ए।
इक्क घड़ी गनीमत दिहाड़ा ए।
तैं कित पर पाओं पसारा ए?

इक्क रात सराँ दा रहणा ऐं।
एत्थे आकर फुल्ल ना बहणा ऐं।
कल्ल सभ दा कूच नकारा<ref>कूच का नक्कारा</ref> ए।
तैं कित पर पाओं पसारा ए?

तूँ ओस मकानों आया ऐं।
एत्थे आदम<ref>आदमी</ref> बण समाया ऐं।
हुण छड्ड मजलस कोई कारा ए।
तैं कित पर पाओं पसारा ए?

बुल्ला सहु एह भरम तुमारा ए।
सिर चक्केआ परबत भारा ए।
ओह मंज़ल राह ना खाहड़ा ए।
तैं कित पर पाओं पसारा ए?

तैं कित पर पाओं पसारा ए।
कोई दम का एहना गुज़ारा ए।

शब्दार्थ
<references/>