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तोड़ें पापड़ / सुरेश विमल
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तोड़ें पापड़ बोलें बम
ढोल बजाएँ ढ़म्मक ढम।
चने दिखाओ बंदर को
तो बंदर दौड़ा आये
कभी भंगड़ा, कभी मणिपुरी
कत्थक कभी दिखाये।
नाचें हम भी, भर लाये
जो कोई रसगुल्लों का ड्रम।
जाएँ रोज़-रोज़ पिकनिक प्त
दूर कहीं जंगल में
तोड़ें फूल कमल के ढेरों
बढ़ा हाथ दलदल में।
मिल जाये जो कहीं मुफ्त में
तांगा या कोई टम टम।