भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तोता और मैना / हरजीत सिंह 'तुकतुक'
Kavita Kosh से
इस बार जब हमारा तोता घर आया।
अपने साथ एक मैना को लाया।
हमने पूछा यह कौन है तोते भाई।
वो बोला आबवियसली मेरी लुगाई।
हमने कहा यह काली कजरारी
हमारी पत्नी को नहीं पसन्द आयेगी।
थोड़ा मुश्किल लगता है
कि यह इस घर में ज्यादा दिन रह पायेगी।
तोता बोला ,
चाहे काली है या क्लेशी है।
भले ही मूल से विदेशी है।
अब यह आपके तोते की जान है।
आपके घर की मर्यादा है आपका सम्मान है।
आप इसे रानी बनायेंगे तो रानी बनेगी।
नहीं बनायेंगे तो कहानी बनेगी।
घर के बाहर बिठायेंगे,
तो घर के बाहर बैठ जायेगी।
पर अब आपके घर के,
सारे मंगल गीत यही गायेगी।