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तोते / रमेशचन्द्र शाह
Kavita Kosh से
उग रहा रक्त
उगते -उगते
चुग रहा रक्त
फल रहा रक्त
फलते फलते
चल रहा रक्त
दो पहर -पेड़
खिड़की पर खड़े -खड़े
सहसा
रुक गया वक्त