तोरऽ के करथौन भलाय / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
सरकारी अफसर के उच्चो मकान, हमरो भारत महान।
तन्खा बढ़ाबै लं करै हड़ताल,
पढ़ैवाला बूतरू बजाबै करताल
देखो शिक्षा के हाल...।
डिप्टी पे नै जायके घरे में रमाय,
देखभो तं लागथौन सरकारी जमाय
खाली बेतने ले जाय...।
डाक्टर-कम्पोटर तेॅ आरू महान,
केनों में आला आरू थैली पं ध्यान
बालो केना बचतै जान...।
सरकारी अफसर के उच्चो मकान, हमरो भारत महान।
बीडियो आरू सीयो के की बात,
ठीकेदार साथें घीचै मार-भात
हुनकर अलगे छै जात...।
कुच्धू गुरूजी बड़ीफड़ियावाज,
पनबट्टा मेॅ पान रक्खी बनै रंगवाज
बोलो केना चलतै राज...।
थाना के खाना तेॅ चोरे चलाय,
रातों के दारू भोरे रोटी पे मलाय
तोरऽ के करथौन भलाय...।
नेता केॅ ठीका आरू बदली पे ध्ययन,
आगू-पीछू करभों तेॅ तोरों कल्यान
नै तेॅ नेता अर्न्तध्यान...।
सरकारी अफसर के उच्चो मकान, हमरो भारत महान।
स्कूलिया लड़का के ठीक नै छै चाल,
थैली मं चिलम खैनी सं भरल गाल, देश होलै पैमाल।
आजकल के लड़कीभी ठीक नै छै भाय,
चप्पल के एडी मं उखड़ी लगाय, तभी दहो समझाय।
बूढा केॅ तीन बीवी बेटा छै कुमार,
वीहा सं पहिने जा, खोजऽ रोजगार, नैतै होथौन सब बेकार।
आतंकी राजऽ मेॅ रोजे जाय छै जान,
केना कं दुनिया चलतै जानै भगवान, हुनियो बड़ी परेशान।
सरकारी अफसर केॅ उच्चो मकान, हमरो भारत महान।