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तोरा चाहला पर जीयें तेॅ सकै छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
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तोरा चाहला पर जीयें तेॅ सकै छै
पर जीयै सेॅ पहिनंे दिल दहलावै छै
गरीब गाँव के टूटलोॅ-फुटलोॅ घरोॅ में
आय बहुत भारतवासी दिन बितावै छै
नैं कही दीया जलै नै कोय जागलोॅ
गाँव धोॅर सुनसान जैसनों बुझावै छै
चौक पर शहीद के मूरती छै बनलोॅ
वें जवानों के खून केॅ खौलावै छै
आय शहीद के चिता बेचै लेॅ बेकल
कुरसी के भुखलोॅ बाज मड़रावै छै
बुलबुल केॅ माली नेॅ उ हाल करने छै
देखी केॅ आय शैय्याद शरमावै छै
केकरोॅ दहशत छै ई केन्होॅ शोरगुल
जेकरा ड़रोॅ सें कमल कुम्हलावै छै
सड़कोॅ पर नारा छै चौकोॅ पर धरना
आजाद फिजा के निशाना चलावै छै।