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तोरा बिना जीवन बेकाम लागै छै / कस्तूरी झा 'कोकिल'
Kavita Kosh से
तोरा बिना जीवन बेकाम लागै छै।
मनोॅ केॅ घोड़ा बेलगाम लागै छै।
सगरों दौड़ी आबै छै।
कुच्छो नै पाबै छै।
थक्की के आखिर में
घरे घुरी आबै छै।
तोरा बिना घरो बेगम लागै छै।
तोरा बिना जीवन बेकाम लागै छै।
हरदम मोॅन हहरे छै,
दुख से दिल कहरै छै।
केकरा सेॅ कहियै?
तोरा सन कोय नै छै।
खाना अकेलोॅ हराम लागै छै।
तोरा बिना जीवन बेकाम लागै छै।
दिन केॅ नै चैन छै
राहे पर नैन छै।
कतेॅ पढ़बै, कत्तेॅ लिखबै।
कंठे में बैन छै।
हीरा सन समैइया छदाम लागै छै।
तोरा बिना जीवन बेकाम लागै छै।
मनोॅ के घोड़ा बेलगाम लागै छै।
21/11/15 पूर्वाहन 11.30 बजे