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तोरा सेॅ केन्होॅ लगाव छै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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तोरा सेॅ केन्होॅ लगाव छै!

छूवी केॅ जल हमरा लौटै
एक यही दुख हमरा औंटै
के जानें की अगला बाजी
दावे पर ही दिखै दाव छै।
तोरा सेॅ केन्होॅ लगाव छै!

हवा तलक डोलावै नै छै
संदेशो तक आवै नै छै
दूर नहर जहिया सें भेलै
आगिन-आगिन लगैबावै छै
तोरा सें केन्होॅ लगाव छै!

जिनगी-काया काठे र छै
दिन भर के ज्यों हाटे रं छै
पन्नी-कागज रं काया ठो
चारो दिस ही घाव-घाव छै
तोरा से केन्होॅ लगाव छै।