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तो-एम-माई का टिका हुआ बादल / एज़रा पाउंड

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बसन्त में झड़ी," तो-एम-माई कहता है,"बगिया में वसन्त की झड़ी।"

1. बादल घिर आए हैं, घिर आए हैं और बूँदें गिरती है, गिरती है
आकाश की आठों तहें सिमट कर एक अन्धकार में बदल गयी हैं,
और दूर तक फैली दिखायी देती है चौड़ी, सपाट सड़क ।
मैं थिर हो कर रुकता हूँ अपने पूरब की ओर कमरे में, ख़ामोश, ख़ामोश,
थपथपाता हूँ मदिरा की नयी सुराही ।
मेरे दोस्त अब दोस्त नहीं रहे या चले गये हैं दूर,
सिर झुकाता हूँ मैं और खड़ा रहता हूँ निश्चल ।

2. वर्षा, वर्षा, और बादल घिर आए हैं
आकाश की आठों तहें अँधेरे में बदल गई हैं,
सपाट धरती बन गई है दरिया
मदिरा, मदिरा, यह रही मदिरा,
मैं पीता हूँ पूरब की खिड़की के पास।
सोचता हूँ बातचीत और इन्सान के बारे में,
और कोई नाव, कोई गाड़ी आती नहीं दिखती।

3. पूरब की ओर मेरी बगिया के पेड़
नयी कोंपलों में फूट पड़े हैं,
वे नई चाहत जगाने की कोशिश करती हैं,
और लोग कहते हैं कि चाँद और सूरज बराबर चलते रहते हैं
क्योंकि उन्हें कोई नरम आसरा नहीं मिलता।
चिड़ियाँ फड़फड़ाती हुई मेरे पेड़ पर आराम करने उतारती हैं
और मेरा ख़याल है मैंने उन्हें यह कहते सुना है:
ऐसा नहीं है कि दूसरे लोग न हों
लेकिन हमें यही आदमी पसन्द है,
मगर चाहे जितना भी हम बात करना चाहें
इसे हमारे दुख का पता नहीं चल सकता ।

(ताओ युआन मिंग 365-427 ई)

अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीलाभ