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थमो भाईजी / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
आंवता-जांवता
डोभा फाडता
दांत तिडकांवता
करै कुचरणी
हाथां सूं
तिसळतै
सबदां नै
सामटणै सारू
आकळ-बाकळ
कवि साथै!
थमो भाईजी, थमो.!
उळझो मत उण सूं
पड जावैला
लेणै रा देणा
बैठ्यो है बो
खाएडो खार
लारलै
कैई दिनां सूं
खुद में
खुद रै
नीं मिलणै री
पीड नै पाळ्यां !