Last modified on 13 अगस्त 2014, at 23:32

थाम ले रश्मि-रथ / रमेश रंजक

पंथ दूरत्व का भार भय
                    (दूर कर)
                    हो अभय
पाँव धर प्राप्त कर दिग्विजय

आँधियाँ सौतिया डाह से
तोड़तीं आस्था राह से
अपशकुन कर सुना-अनसुना
प्यास की आस में गुनगुना
एक स्वर, एक लय
                    हो अभय
पाँव धर प्राप्त कर दिग्विजय

स्रोत उत्साह का तू बहा
हर विपत्ति पर लगा कहकहा
मुस्कुरा, बिजलियों के तले
थाम ले रश्मि-रथ बाँध ले
मुट्ठियों में समय
                    हो अभय
पाँव धर प्राप्त कर दिग्विजय