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थारी आंख्यां रा तळाव / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
म्हारै हिवडै़ रै कूणैं
आज
ई
जीवन रस सूं भरया
थारी आंख्यां रा तळाव
थारै ई केसां री छियां
हबोळा खावै
जद-जद म्हारौ जीवन रस सूखै
म्हैं थारी
आंख्यां रै पाळियै बैठूं।