भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

थारै घरनै सरा सरी रै, तेरी उल्टी बहल हंका देता / मेहर सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वार्ता- सज्जनों चापसिंह सोमवती को बुरी भली कहता है और क्या कहता है

जै होती जाण्य तेरी रै, तारैगी आन मेरी रै
थारै घरनै सरा सरी रै, तेरी उल्टी बहल हंका देता।टेक

तनै डोब दिया मेरा धरम
आज कौड करया सै करम
मनै शर्म आंवती मोटी
तनै कार करी किसी खोटी
तेरी कटवा कै नाक और चोटी, कुऐ बीच धका देता।

छोड़े राम नाम के जपने दिखा दिये कंगलां आले सपने
अपने फेरयां की गांठ खुलवा कै
तेरे हाथ में हाथ घलवा कै
किसै मुल्ला काजी नै बुलवा कै तेरा उस तै निकाह पढ़ा देता।

तनै डोब दिया बेईमान
मेरा जंचा डिगाया ध्यान
जै उड़ै शेरखान पा जाता
उसकी घिटी नै खा जाता
जै मौके पै आ जाता तनै करणा प्यार सिखा देता।

मेहर सिंह हो लिया महाघोर
तेरा तै सारै माच लिया शोर
जोर था दरबारां में मेरा
मन्नै पाटया कोन्या बेरा
तांबे के अक्षर में तेरा रंडी नाम लिखा देता।