दक्षिण अफ्रीका में मारे गए भारतीयों के लिए / टी० एस० एलियट / अनूप सेठी
बोनामी डोबरी के लिए
आदमी का ठिकाना होता है उसका अपना गाँव
उसका अपना चूल्हा और उसकी घरवाली की रसोई,
अपने दरवाज़े के सामने बैठना दिन ढले
अपने और पड़ोसी के पोते को
एक साथ धूल में खेलते निहारना ।
चोटों के निशान हैं पर बच गया है, हैं उसे बहुत सी यादें
बात चलती है तो याद आती है
(गर्मी या सर्दी, जैसा हो मौसम)
परदेसियों की, जो परदेसों में लड़े,
एक दूसरे से परदेसी ।
आदमी का ठिकाना उसका नसीब नहीं है
हरेक मुल्क घर है किसी इनसान का
और किसी दूसरे के लिए बेगाना। जहाँ इनसान मर जाता है बहादुरी से
नसीब का मारा, वो मिट्टी उसकी है
उसका गाँव रखे याद ।
यह तुम्हारी ज़मीन नहीं थी, न हमारी : पर एक गाँव था मिडलैण्ड में,
और एक पंजाब में, हो सकता है एक ही हो कब्रिस्तान ।
जो घर लौटें वे तुम्हारी वही कहानी सुनाएँ :
कर्म किया साझे मकसद से, कर्म
पूर्ण हुआ, फिर भी न तुम, न हम
जानते हैं, मौत आने के पल तक,
क्या है फल कर्म का ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनूप सेठी
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
T.S. Eliot
To the Indians who died in South Africa
A man's destination is his own village,
His own fire, and his wife's cooking;
To sit in front of his own door at sunset
And see his grandson, and his neighbour's grandson
Playing in the dust together.
Scarred but secure, he has many memories
Which return at the hour of conversation,
(The warm or the cool hour, according to the climate)
Of foreign men, who fought in foreign places,
Foreign to each other.
A man's destination is not his destiny,
Every country is home to one man
And exile to another. Where a man dies bravely
At one with his destiny, that soil is his.
Let his village remember.
This was not your land, or ours: but a village in the Midlands,
And one in the Five Rivers, may have the same graveyard.
Let those who go home tell the same story of you:
Of action with a common purpose, action
None the less fruitful if neither you nor we
Know, until the judgement after death,
What is the fruit of action.