भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दग़िस्तानी लोरी - 6 / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मार गिराए डण्डे से जो चीते को
बेटी उसको दे दूँगी,
घूँसे से चट्टान तोड़ दे जो पत्थर
बेटी उसको दे दूँगी,
कोड़े से जो दुर्ग जीत ले, साहस से,
बेटी उसको दे दूँगी,
जो पनीर की तरह काट दे चन्दा को
बेटी उसको दे दूँगी,
जो रोके नदिया की बहती धारा को
बेटी उसको दे दूँगी,
किसी फूल की तरह सितारा जो तोड़े
बेटी उसको दे दूँगी,
पंख पवन के आसानी से जो बाँधे,
बेटी उसको दे दूँगी,
सेब सरीखे लाल-लाल गालों वाली
प्यारी बिटिया तू मेरी !

रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु