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दमिश्क़ का दरवाज़ा / नूरी अल-जर्राह / प्रकाश के रे
Kavita Kosh से
मेरे कान्धे पर धरी
इस छोटी गठरी में,
ढो रहा हूँ मैं
क़सून पहाड़ से भी
बड़ा सवाल।
दमिश्क़ का दरवाज़ा
बन्द है
और वहाँ पहरेदारी है;
शहर ने
अपना दिल
कहीं और रख दिया है,
मेरी पहुँच से दूर।
ख़ुदकुशी
करने वाले लड़के
ऊन के गोले
छोड़ गए हैं;
मैं अपना
दरवाज़ा बाँध रहा हूँ,
मरे हुए लोगों के लिए
स्वेटर बुन रहा हूँ,
थोड़ा रुको !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रकाश के रे