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दरख़्त गिर जाने के बाद / शहनाज़ इमरानी
Kavita Kosh से
आँगन का दरख़्त गिर जाने के बाद
उजागर हो सकता था
कौनसा सच
जड़ों का खोखला होना
या मिट्टी की कमज़ोर पकड़
कुछ दिन सूखे पत्ते खड़खड़ाए
और फिर मिट्टी का हिस्सा बन गए
हर दर्द, हर दुख को देखने का
अपना-अपना नज़रिया
खिड़की दरवाज़ों ने होंठ सी लिए