दरद दिसावर भाग-1 / भागीरथसिंह भाग्य
लोग न जाणै कायदा ना जाणै अपणेस ।
राम भलाईँ मौत दे मत दीजै प्रदेश ||
ना सुख चाहु सुरग रो नरक आवसी दाय।
म्हारी माटी गांव री गळियाँ जै रळ जाय॥
जोगी आयो गांव सूँ ल्यायो ओ समचार ।
काळ पड्यो नी धुक सक्यो दिवलाँ रो त्युहार् ॥
इकतारो अर गीतडा जोगी री जागीर ।
घिरता फिरतापावणा घर घर थारो सीर ॥
आ जोगी बंतल कराँ पूछा मन री बात ।
उगता हुसी गांव मँ अब भी दिन अर रात ॥
जमती हुसी मैफलाँ मद छकिया भोपाळ ।
देता हुसी आपजी अब पी कै गाळ ॥
दारू पीवै आपजी टूट्यो पड्यो गिलास ।
पी कै बोलै फारसी पड्या न एक किलास ॥
साँझ ढल्याँ नित गाँव री भर ज्याती चौपाळ ।
चिलमा धूँवा चालती बाताँ आळ पताळ ॥
पाती लेज्या डाकिया जा मरवण रै देश ।
प्रीत बिना जिणो किसो कैजे ओ सन्देश ॥
काळी कोसा आंतरै परदेशी री प्रीत ।
पूग सकै तो पूग तूँ नेह बिजोगी गीत ॥
मरवण गावै पीपली तेजो गावै लोग ।
मै बैठयो परदेश मँ भोगू रोग बिजोग ।।
सावण आयो सायनी खेता नाचै मोर ।
म्हारै नैणा रात दिन गळ गळ जावै मोर ॥