भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दरिया का पानी (गीत) / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
दरिया का पानी जैसी मेरी ज़िन्दगानी
समझेगा कौन मेरी जी की कहानी
दरिया का पानी रे !
ढालों ने धकेला मुझे घाटी ने सम्भाला
जैसा मैंने चाहा वैसा रास्ता निकाला
माटी में मिलाई है जवानी की रवानी
दरिया का पानी रे !
ऊँचे - नीचे रास्ते में जड़ता के रोड़े
कहीं-कहीं ज़्यादा मिले कहीं-कहीं थोड़े
रोक नहीं पाए मेरी चाल को गुमानी
दरिया का पानी रे !
जो भी कतवार घटियारों ने गिराया
धार के धरम ने किनारे पे लगाया
बानी ! जगरानी !! खारे सिन्धु में समानी
दरिया का पानी रे !