भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दर्द कांटा है उसकी चुभन फूल है / नासिर काज़मी
Kavita Kosh से
दर्द कांटा है उसकी चुभन फूल है
दर्द की ख़ामुशी का सुख़न फूल है
उड़ता फिरता है फुलवारियों से जुदा
बर्गे-आवारा जैसे पवन धूल है
उसकी ख़ुशबू दिखाती है क्या क्या समै
दश्ते-ग़ुरबत में यादे-वतन फूल है
तख्त-ए-रेग पर कोई देखे उसे
सांप के ज़हर में रस है, फ़न फूल है
मेरी लै से महकते हैं कोहो-दमन
मेरे गीतों का दीवानापन फूल है।