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दर्द ज़िगर में पाले रखना / अनीता सिंह
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दर्द ज़िगर में पाले रखना
लेकिन मुँह पर ताले रखना।
अम्मा तो न सह पायेगी
बँटवारे को टाले रखना।
घुन लग गये शहतीरों में
छत को जरा संभाले रखना
जिनके घर चूल्हे सोते हैं
उनके कण्ठ निवाले रखना
जहाँ रात ज़िद पर बैठी हो
थोड़े -बहुत उजाले रखना
बन जाये न ज़ख्म कहीं
हाथों में मत छाले रखना।।