Last modified on 25 अगस्त 2014, at 22:56

दर्द दिल में संभाल कर रखा / रविकांत अनमोल

दर्द दिल में संभाल कर रक्खा
अपनी आँखों को मैंने तर रक्खा

मैंने देखी क़रीब से दुनिया
तूने मुझको जो दर-ब-दर रक्खा

मैंने तेरे बदन की ख़ुश्बू को
अपने गीतों में ढाल कर रक्खा

लग़्ज़िश आई न उसके क़दमों में
जिसने दिल में ख़ुदा का डर रक्खा

तेरी चौखट पे इस जनम हमने
पाँव रखना न था मगर रक्खा

हमने रख्खीं सहेज कर यादें
और लोगों ने सीमो-ज़र रक्खा