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दर्द है ये दिखा नहीं सकता / सुरेन्द्र सुकुमार
Kavita Kosh से
दर्द है ये दिखा नहीं सकता,
ज़ख़्म होता दिखा दिया होता।
सर झुकाता नहीं आपके आगे,
आपसे कुछ नहीं लिया होता।
किसी को कुछ पता नहीं चलता,
अश्क़ चुपके गर पिया होता।
मौत भी आने से खूब कतराती,
हमने मस्ती से गर जिया होता।
मेरी मुफ़लिसी पता नहीं चलती,
फटी चादर को गर सिया होता।