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दाग़ दामन में लगा कर रख दिया / ऋषिपाल धीमान ऋषि
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दाग़ दामन में लगा कर रख दिया
दिल ने मेरे सब मिटाकर रख दिया।
उम्र जिसकी तेरी यादों मर कटी
तूने उसको ही भुला कर रख दिया।
दर्द का किस्सा किसी से कब कहा?
आंसुओं ने सब बता कर रख दिया।
भोर का सपना दिखाकर चुपके से
उसने सूरज को छिपाकर रख दिया।
ख़्वाब रहते थे कभी जिस आंख में
वक़्त ने पानी सजाकर रख दिया।
मेरे ग़म के शबनमी अहसास ने
फूल-पत्तों को रुला कर रख दिया।