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दादा जी का चश्मा / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
दादाजी का चश्मा है यह;
लेना मत भाई, लेना मत।
शीशे का यह बना हुआ है;
लेना मत भाई, लेना मत।
अगर गिरा तो टूट जाएगा;
लेना मत भाई, लेना मत।
दादा जी फिर पढ़ न सकेंगे;
लेना मत भाई, लेना मत।