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दादा मेरे इस उम्र में ससुराल जाते है / प्रेम कुमार "सागर"

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बता क्यों लोग सारे रिश्तों को भूल जाते है
कभी भी मै नहीं बदला, मेरे अपने बताते है |

गर है पता कि दे दिया सर्वस्व उसने आपको
क्यूँ आप बुड्ढे वृक्ष को रह - रह हिलाते है ?

है ढहना रेत को औ' जंग तो मौजें ही जीतेंगी
ये बच्चे नासमझ है फिर भी घरौंदा बनाते है |

हाथ 'गर थामा किसी का छोड़ मत देना उसे
सुनो ! दादा मेरे इस उम्र में ससुराल जाते है |

साथ देना, हाथ देना, क़यामत तक न छोड़ना
हाँ हम दोस्ती 'सागर' की ही भाँति निभाते है |