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दार्जिलिंग यात्रा सँ / दीप नारायण

मूँह पर सँ हेठ क' कारी ऊनी चद्दरि
गुलाबी कलस थम्हने सुरुज केँ
कञ्चनजंघाक कान्ह पर सँ
हुलकी दै सँ पहिने
जागि जाइत अछि पर्वतक रानी


नव सूर्योदयक छिटकति उजासक बीच
बदलैत बर्फक रंग केँ काछि
टाइगर हिल सँ खहरि
हैप्पी वेली टी गार्डन मे नित्तः उनटा-पुण्टा क'
सूखबैत रहैत अछि अपन घाओ

गत्र पर कय गोट चेन्ह छैक घाओ केर
कनेक गहींर धरि जा क' देखबै
एकटा वेदना जमल भेटत
हृदयक भीत पर
जे कि अपने लोक सँ भेटल छैक ओसा क'

नहि जानल गेल अछि दार्जिलिंग
पांगल गेल अछि दार्जिलिंग
नोचल गेल अछि
खोंटल गेल अछि
काटल गेल अछि छेनी-हथौड़ी सँ
ढाहल गेल अछि दार्जीलिंग

नीचा चायक बगान सँ अबैत
कपासक गेठरी उघने बेबस मेघक हेंज
एकास केर सुनाबय चाहैत अछि
माँटिक खबरि
की
एकाश स्थल मे फेर मेघक घर ढ़ाहि दैत अछि
दक्षिण सँ अबैत बसात

बसात एखने भनभनाइत गेल अछि हमरा पांजर दने
अपन अस्तित्वक यात्रा मे
ठेहुन सिकुड़ने सिनकोनाक छाह तर सुस्ताइत
पर्वतक रानी देखि रहली अछि
समय केँ टाँगल बाँसक छीप पर आ
पहाड़ पर मैदान मे
जत्र-तत्र छिड़ियायल अदखिज्जु सम्बन्ध

अटालिकाक छत पर अटकल एक अखरा चुप्पी
सिमसीमाएल सिहकीक संग
पर्यटकक लेल मीठ आह्लाद परसैत आ
नव कपल्स केर दैत खोंइछ भरि आशीष
आँखिक भीतर टघरैत
एक गोट दुनियाँ अंगेजने
चौरस्ता सँ बाहर भ'
ऑब्जवेर्टरी हिल होइत
जाइत अछि महाकालक मोख धरि
जे कि आब शिव सँ शिला भेल छथि

भारतक सभ सँ ऊँच आ विश्वक धरोहरि
घुम स्टेशन सँ टॉय ट्रेन मे घूमती काल
बेर बेर ऐड़ी उचका क' देखय चाहैत अछि
बतासिया लूप सँ हिमालयक दरद
मिसियो भरि नहि पघिल रहल अछि

विश्वक शान्तिक लेल बनल
उज्जर दप-दप शंखमर्मर सँ
विश्व शांति स्तूप
आब कहाँ भेट रहल अछि शांति
बुद्धक शरण मे गेला सँ सेहो
जापानी मंदिर
लाल कोठी
आभा आर्ट गैलरी आ
धीरधाम मे हेरैत अछि अपन इतिहास
दार्जिलिंग

कखनो झिंसियाति बर्खा मे तीतल
वेधशाला पहाड़ी पर चढ़ि
नेपाल
भूटान
तिब्बत आ
केखनो सिक्किम दिस ताकैत अछि
दार्जिलिंग

कखनो चाय बगान
पहाड़, नद-नदी, झड़ना केखनो
मठ-मंदिर, शहर-बाजार, मॉल तँ कखनो
रॉक गार्डन
रोपवे, तेनजिंग रॉक, रॉय विला
केखनो चिड़ै-चुंमुन्नी
अकादारुन गाछ-बिरिछ आ ठाढ़ि-पात सँ
कहैत अपन आत्मकथा
कखनो चढ़ैत, कखनो खहरति
एकटा उभर-खाभर अकुलाहटिक संग
औहरि मारैत
कतय-कतय नहि
तकैत अछि दार्जिलिंग
कतेक दिन सँ दार्जिलिंग केँ