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दिन-दिन खजाना का भार का बोकिया ले / गुमानी
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दिन-दिन खजाना का भार का बोकिया ले,
शिव शिव चुलि में का बाल नैं एक कैका….
तदपि मुलुक तेरो छोड़ि नैं कोई भाजा….
इति वदति गुमानी धन्य गोरखालि राजा….
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अर्थात – रोज रोज खजाने का भार ढोते-ढोते प्रजा के सिर के बाल उड़ गये पर राज गोरखों का ही रहा। कोई भी उसका राज छोड़कर नहीं गया। अत: हे गोरखाली राजा तुम धन्य हो।