भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिन आज विशेष सु-लग्न लिए / अनुराधा पाण्डेय
Kavita Kosh से
दिन आज विशेष सु-लग्न लिए, शुचि गंग सु-अंक पसार गई
युग से मल युक्त विकार सने, अघ पंकिल पाँव पखार गई।
निज पावन नीर प्रसाद दिए, अति वंचक चित्त सुधार गई।
प्रणमामि निरंतर हे जननी, बह भारत भाग्य सँवार गई।