दिन आ गए बहार के इकरार कीजिए, 
दिल जो कहे पुकार के इज़हार कीजिए। 
दिन-रात गुज़रते गए करते नहीं-नहीं, 
अब और आप वक़्त न बेकार कीजिए। 
जो है भरोसा आज वही आप बोलिए, 
अब बेक़रार और न सरकार कीजिए। 
कब से खड़ा हूँ आपके मैं इंतज़ार में, 
बेचैन कर मुझे न यूं बीमार कीजिए। 
दिलदार है करीब ज़रा मुड़के देखिए, 
रुख़ पर नक़ाब डाल न दीदार कीजिए। 
सब छोड़िए बहाना बहुत हो गया अभी, 
अनमोल है ये जीवन गुलज़ार कीजिए। 
देता नहीं ज़माना कभी साथ सोचिए, 
करना अगर है प्यार तो स्वीकार कीजिए।