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दिन आ गए बहार के इकरार कीजिए / सुजीत कुमार 'पप्पू'
Kavita Kosh से
दिन आ गए बहार के इकरार कीजिए,
दिल जो कहे पुकार के इज़हार कीजिए।
दिन-रात गुज़रते गए करते नहीं-नहीं,
अब और आप वक़्त न बेकार कीजिए।
जो है भरोसा आज वही आप बोलिए,
अब बेक़रार और न सरकार कीजिए।
कब से खड़ा हूँ आपके मैं इंतज़ार में,
बेचैन कर मुझे न यूं बीमार कीजिए।
दिलदार है करीब ज़रा मुड़के देखिए,
रुख़ पर नक़ाब डाल न दीदार कीजिए।
सब छोड़िए बहाना बहुत हो गया अभी,
अनमोल है ये जीवन गुलज़ार कीजिए।
देता नहीं ज़माना कभी साथ सोचिए,
करना अगर है प्यार तो स्वीकार कीजिए।